लोक कथा : लेड़गा मंडल

– वीरेन्द्र ‘सरल‘
एक गांव म एक झ लेड़गा रहय। काम बुता कुछ नइ करय। ओखर दाई ओला अड़बड़ खिसयावय। लेड़गा के दाई जब सियान होगे अउ लेड़गा जवान, तब रिस के मोर डोकरी ओला अड़बड़ गारी-बखाना दिस। लेड़गा हाथ जोड़के किहिस-‘‘ले दाई अब जादा झन खिसया। काली ले महुं कुछु बुता काम करके चार पैसा कमा के तोर हाथ में दुहूं। डोकरी खुश होगे अउ बिहान दिन आज मोर बेटा ह कमाय बर जाही कहिके लेड़गा बर सात ठन मुठिया रोटी रांध के मोटरी म जोर दिस। लेड़गा रोटी ल धरके कमाय बर जावत हवं कहिके घर ले निकल गे। फेर जनम के अलाल अउ कोढ़िया, कहीं काम बूता ला तो जानय तको नहीं। ओखर आदत बेवहार ला जान के कोन्हों ओला अपन संग काम म लेगबे नइ करिन। लेड़गा के मन म दाई के डर समागे। ओहा दूसर गांव डहर रेगें लगिस अउ उहां के खार के एक तरिया पार म पीपर रूख के छइहां म बइठगे।
मंझनिया के बेरा रहय। निचट सुनसान। न चिरई-चींव करे न कौआ कांव। लेड़गा ल भूख लागिस तब ओहा दाई के जोरे मोटरी के रोटी ला निकालिस अउ लालच के मारे रोटी ल गिन-गिन के चिचिया के कहय-‘‘एक ला खांव के कि सातो ल खांव। एक ला खांव कि सातो ल खांव। एक ला —-।‘‘




लेड़गा ह जउन पीपर के छइहां म बइठे रहय। ओमें सतबहिनी रहय। लेड़गा के गोठ ला सुनके सतबहिनी मन डर्रागे। ओमन लेड़गा ला कोनहो बइगा-गुनिया समझिन। एक झन सत बहिनी ह परगट होके किहिस-‘‘कस भैया, हमन तोर काय बिगाड़े हन जउन तुमन घेर-बेरी एक ला खावं कि सातो ला खांव कहत हव। हमन ला झन खा भैया, येदे मैं तुमा देवत हवं तेला रख ले। येमें हीरा मोती , पन्ना-पुखराज, सोना-चाँदी के दाना भराय हे। येला ले जा, तोर सबो गरीबी ह दूरिहा जाही अउ तैहा मंडल हो जबे।‘‘
लेड़गा ह तुमा ला धर के अपन गांव डहर रेंगिस। अउ खुशी के मारे सबले पहिली अपन मितान घर जाके सतबहिनी मन के कहे बात ला बता दिस। ओखर मितान-मितानिन मन लालच म आगे। सतबहिनी मन के दे तुमा ला लुकादिन अउ दूसरा तुमा ला लेड़गा के आघू म काट के देखावत किहिन-‘‘ ‘‘देखे, येमे तो कुछ नइ हे। सतबहिनी मन तोला ठग दिन, समझे?‘‘ लेड़गा सतबहिनी मन ला गारी देवत अपन घर पहुंचिस। लेड़गा के जाय के बाद ओखर मितान-मितानिन मन तुमा ला काट के देखिन तब बक खागे। सिरतोन म ओमे हीरा-मोती, पन्ना-पुखराज, सोना-चांदी के दाना भराय रहय।
येती लेड़गा फेर बिहान दिन अपन दाई ला सात ठन मुठिया बनाय बर किहिस अउ ओला धरके सोझे उही तरिया पार के पीपर पेड़ के छइंहा म जाके बइठगे। अउ एक ला खांव कि सबो ला खांव कहिके के चिचियाय लगिस।
फेर एक झन सतबहिनी ह परगट होके पुछिस-‘‘अब काय होगे। काली तुमा दे रहेन तेहा कहां हे?‘‘ लेड़गा अपन मितान घर के सब बात ला सफा-सफा बता दिस। ये बखत ओ सतबहिनी ह लेड़गा ला एक ठन बोकरा देवत किहिस-‘‘ ये दे, येला ले जा। ये बोकरा ला गुदगुदाबे तहन बोकरा ह सोने-सोन के मोहर ला उछरही। सब ला सकेल ले बे तहन तोर गरीबी दूर हो जही।‘‘
लेड़गा ह बोकरा ला धर के अपन घर आवत रिहिस। ये बखत ओखर मितान ह पहिलीच ले लेड़गा के अगोरा करत अपन घर के मोहटी म खड़े रहय। लेड़गा ला बोकरा धर के आवत देख के ओहा खुश होके जय-जोहार करिस अउ लेड़गा ला अपन घर ले आनिस। मितान जान के लेड़गा ह सब बात ला बता दिस। मितान ह लेड़गा ल चाहा गुड लाने बर दुकान भेज दिस अउ सतबिहनी मन के दे बोकरा ला लुका के वइसनेच दूसरा बोकरा ल ला के बांध दिस। लेड़गा दुकान ले लहुटिस। तहन बोकरा ला गुदगुदाय। अब नकली बोकरा ह कहां ले सोन के मोहर उछरय। मितान किहिस-‘‘सतबहिनी मन फेर तोला ठग दिन।‘‘
अब लेड़गा के जीव बगियागे। एड़ी के रिस तरवा म चढ़गें। ओहा सतबहिनी मन ला गारी देवत बिहान दिन फेर सरी मंझनिया सात ठन मुठिया धरके उही पीपर पेड़ मेरन पहुँचिस अउ चिचिया के किहिस-‘‘आज तो एको झन ल नइ बचावंव, सातो के सातो ल खाहूँ।‘‘
डर के मारे सातो बहिनी मन परगट होके हाथ जोड़के खड़े होके किहिस-‘‘अब काय कम पड़गे?‘‘
लेड़गा किहिस-‘‘तुमन जउन बता के देथव ओमन सबो नकली आय न तुमा म हीरा-मोती भराय हे अउ न बोकरा ह सोन के मोहर उछरय।
बड़े सतबहिनी ह जान डारिस ये सब एखर मितान के करस्तानी आय। असली जिनिस ल लुका देथे अउ येला नकली ल धरा देथे। ये बखत ओहा एक ठन नानकुन डिबिया ल देके किहिस-‘‘आज सबले पहिली अपन मितान घर जाबे अउ बताब, येमे संसार के सबले कीमती जिनिस हे।‘‘
लेड़गा ओ डिबिया ल धरके लहुटगे। अउ सबले पहिली अपन मितान घर पहुँच के सब बात ला सफा-सफा बता दिस। ललचाहा मितान ओ डिबिया ल तुरते अपन कुरिया म ले जा के खोलिस। डिबिया खुलते साठ ओमे भराय केवास ह उड़ा के मितान-मितानिन के देहें म चटकगे अउ मनमाने खजवाना शुरू करिस। अड़बड़ दवई -पानी लगाइस फेर खजरी माढ़बे नइ करिस। मितान-मितानिन मन जान डारिन ये देवतहा केवास आय। जब तक लेड़गा के असली तुमा अउ बोकरा ल नइ लहुटाबो तब तक ये खजरी माढ़ने वाला नइ हे। ओमन लेड़गा के गोड़ म घोलंड के माफी मांगिन अउ ओखर असली जिनिस ल लहुटाइन तभे उखर खजरी माढ़िस।
लेड़गा ह असली तुमा अउ बोकरा ल लेके अपन घर पहुँचगे। तुमा ला काट के देखिस तब सिरतोन म ओमें हीरा-मोती, पन्ना-पुखराज अउ सोना-चांदी भराय रहय। थोडेच दिन म लेड़गा ह मंडल होगे अउ अतराप भर म लेड़गा मंडल के नाव म प्रसिद्ध होगे।



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